Shehar Ki Galiyon Mein Charcha Hai Aam

शहर की गलियों में चर्चा है आम, साथी नया ढूँढा तूने
आज सवेरे के अख़बार में लिखी कहानी ये सारी
तू किसी की बाँहों में थी कल से नींदें चुरा के हमारी

शहर की गलियों में चर्चा है आम, साथी मिला मुझको मेरा
अख़बार में क्या नहीं ये पढ़ा? कल की हसीं रात सारी
तुम रात-भर मेरी बाँहों में थे, पिया, बाँहों में मैं थी तुम्हारी

Please tell me why you make me cry
बोलो, पिया, रोए जिया
बोलो, बोलो, बोलो, पिया, रोए जिया

रोको ये बरसातें, रोने की ये बातें
मैंने शरारत ये की थी
कर दो मुझे माफ़ तुम, जान-ए-जानाँ
क़सम है तुम्हें तो मेरे प्यार की

पहले रुलाते हो, फिर क्यूँ मनाते हो?
ये क्या अदा है तुम्हारी?
अगर प्यार है तो सताते हो क्यूँ?
सनम, ये तुम्हारी है आदत बुरी

You are my life, कल होगी wife
चुप ना रहो, कुछ तो कहो
देखो, चुप ना रहो, कुछ तो कहो

मुझको लगे प्यारी ये बात तुम्हारी
तो शादी का कब है इरादा?
जब तुम कहोगी, बनूँगा मैं दूल्हा
ये वादा मेरा आज तुमसे रहा

हो जाएँगे सपने सच सारे अपने
जिस दिन चढ़ूँगी मैं डोली
इतना तुम्हें प्यार मैं तो करूँगा
कि भूलोगी बाबुल की तुम तो गली

शहर की गलियों में चर्चे होंगे आज, पागल है सारा ज़माना
पूछो अगर, बात कुछ भी ना थी, इस जहाँ ने बनाया फ़साना
सच्ची मोहब्बत हमारी है ये
दुनिया ने तो आख़िर ये माना, दुनिया ने तो आख़िर ये माना



Credits
Writer(s): Amar-utpal, Shakeel Akhtar
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