Aao Milan Ka Jashn Manayein

आओ, मिलन का जश्न मनाएँ तमाम रात
आओ, मिलन का जश्न मनाएँ तमाम रात
जागें तमाम रात, जगाएँ तमाम रात

जागें तमाम रात, जगाएँ तमाम रात
आओ, मिलन का जश्न मनाएँ तमाम रात
जागें तमाम रात, जगाएँ तमाम रात

कितनी रुतों के बाद आया है मौसम-ए-दिल
दिल में सजी महफ़िल किस धूम से

कितनी रुतों के बाद आया है मौसम-ए-दिल
दिल में सजी महफ़िल किस धूम से
इश्क़ हुआ है शाद, प्यार हुआ आबाद
कह दो कि गाए दिल अब झूम के

फिर मिल के नाचें हम-तुम भी
जैसे नाचे पतंगा चराग़ों के साथ

आओ, मिलन का जश्न मनाएँ तमाम रात
जागें तमाम रात, जगाएँ तमाम रात
जागें तमाम रात, जगाएँ तमाम रात

फिर अपना मिलना कब हो, ख़ुदा जाने
आज तो दीवाने खुल कर मिलें

फिर अपना मिलना कब हो, ख़ुदा जाने
आज तो दीवाने खुल कर मिलें
प्यार के अफ़साने जितने भी हैं बाक़ी
सुबह तलक, साथी, कहते चलें

पलकों में छुप के, होंठों में दब के
रह ना सके आज तो कोई बात

आओ, मिलन का जश्न मनाएँ तमाम रात
जागें तमाम रात, जगाएँ तमाम रात
जागें तमाम रात, जगाएँ तमाम रात



Credits
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, Anand-milind
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