Mere Yaar Aaye Ho Apne Watan Se

मेरे यार, आए हो अपने वतन से

मेरे यार, आए हो अपने वतन से
कि आती है मिट्टी की ख़ुशबू बदन से
मेरे यार, आए हो अपने वतन से
कि आती है मिट्टी की ख़ुशबू बदन से
कि आती है मिट्टी की ख़ुशबू बदन से

वहाँ चाँद अब भी निकलता तो होगा
वहाँ चाँद अब भी निकलता तो होगा
मेरी माँ के चेहरे से जलता तो होगा
मेरी माँ मेरी याद में खोई-खोई
बना के दुआओं का तावीज़ कोई

लिफ़ाफ़े में रख के बहुत रोई होगी
वसू से मेरी याद फिर धोई होगी
मगर फिर भी यादें कहाँ रुक सकी हैं
नमाज़ों में आँखों से बहने लगी हैं

मेरे यार, आए हो अपने वतन से
कि आती है मिट्टी की ख़ुशबू बदन से
कि आती है मिट्टी की ख़ुशबू बदन से

बहन मेरी सर्दी के मौसम में अब भी
बहन मेरी सर्दी के मौसम में अब भी
मेरे वास्ते ऊन बुनती तो होगी
कोई ताना देगा, "कहाँ तेरा भैया?"
तो फिर उससे दिन-भर झगड़ती तो होगी

जो रात आएगी तो सुबकने लगेगी
वो सोने की कोशिश में जगने लगेगी
तड़प कर यकायक उठेगी पलंग से
चले आओ, भैया, वो चिठ्ठी लिखेगी

मेरे यार, आए हो अपने वतन से
कि आती है मिट्टी की ख़ुशबू बदन से
कि आती है मिट्टी की ख़ुशबू बदन से

सुनाता हूँ अब एक सितमगर का क़िस्सा
कि जिसने बनाया मुझे दिल का हिस्सा
वो ख़्वाबों में अपने मुझे रोज़ ला के
कभी रूठती और मनती तो होगी

कभी बे-ख़याली में सजती तो होगी
अँधेरे में सावन की बिजली से डर कर
बहुत देर तक मेरी यादों की ख़ुशबू
निगाहों से उसकी बरसती तो होगी
निगाहों से उसकी बरसती तो होगी

मेरे यार, आए हो अपने वतन से
मेरे यार, आए हो अपने वतन से
कि आती है मिट्टी की ख़ुशबू बदन से
कि आती है मिट्टी की ख़ुशबू बदन से



Credits
Writer(s): Salahuddin Pervez
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