Maine Bhi Ek Geet Likha Hai

मैंने भी एक गीत लिखा है
तेरी सूरत देखकर
मैंने भी एक गीत लिखा है
तेरी सूरत देखकर
लिखना क्या जी, अर्ज़ किया है
प्यार की मूरत देखकर

पल में है आफ़ताब तू, पल में है माहताब
ऐसा कमाल हुस्न का देखा नहीं, जनाब

मैं भी शायर बन बैठा हूँ
उसकी क़ुदरत देखकर
मैंने भी एक गीत लिखा है
तेरी सूरत देखकर

तेरी तारीफ़ में कईं पन्ने
मैंने लिख-लिख के फाड़ डाले हैं
कैसे बाँधू मैं इनको लफ़्ज़ों में?
तेरे अंदाज़ ही निराले हैं

तेरी आँखों को जाम क्या लिखूँ?
जाम में ये नशा नहीं होता
तुझको अल्लाह हसीं बनाता क्यूँ?
और दुनिया में 'गर हसीं होता

फूलों को भी खिलना आया
तेरी नज़ाकत देखकर
मैंने भी एक गीत लिखा है
तेरी सूरत देखकर
लिखना क्या जी, अर्ज़ किया है
प्यार की मूरत देखकर

गीत, ग़ज़लों में इतनी बात कहाँ
मैं तो तुझ पे किताब लिखूँगा
लोग पढ़ते रहेंगे सदियों तक
अनगिनत, बे-हिसाब लिखूँगा

मैं तेरे हुस्न का हूँ दीवाना
तूने सीखला दी आशिक़ी मुझको
खो चूका था घने अँधेरों में
तूने दिखला दी चाँदनी मुझको

रंग-बिरंगी हो गईं दुनिया
तेरी रंगत देखकर
मैंने भी एक गीत लिखा है
तेरी सूरत देखकर
लिखना क्या जी, अर्ज़ किया है
प्यार की मूरत देखकर

मैंने भी एक गीत लिखा है
तेरी सूरत देखकर



Credits
Writer(s): Farooq Qaiser
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