Badalne Ke Intezaar Mein

समंदर में पत्थर गुमसुम है पड़ा
सपनो की दुनिया में चुप है खड़ा
देखते ही देखते सूरज डूब रहा
अगर कुछ बदला नहीं तो अंधेरा सामने है खड़ा

उलझी हुई है वक्त की परछाइयां
यह पूरा दौर है बदलने के इंतजार में
बदलने के इंतजार में

हर दिन सवाल उठते है कई
पर जवाब किसी के पास नही
क्या है गलत क्या है सही
समझा क्या कोई आँखें खोले अभी

उलझी हुई है वक्त की परछाइयां
यह पूरा दौर है बदलने के इंतजार में
बदलने के इंतजार में



Credits
Writer(s): Samarsanam Samarsanam, Samar Puri
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