Chabi Kho Jaye

बाहर से कोई अंदर ना आ सके
अंदर से कोई बाहर ना जा सके, सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो?
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो?
हम-तुम एक कमरे में बंद हों और चाबी ख़ो जाए
हम-तुम एक कमरे में बंद हों और चाबी ख़ो जाए
तेरे नैनों की भूल-भुलैया में Bobby ख़ो जाए
हम-तुम एक कमरे में बंद हों और चाबी ख़ो जाएए

आगे हो घनघोर अंधेरा
(बाबा मुझे डर लगता है)
पीछे कोई डाकू लुटेरा
(क्यों डरा रहे हो?)
आगे हो घनघोर अंधेरा, पीछे कोई डाकू-लुटेरा
उपर भी जाना हो मुश्किल
नीचे भी आना हो मुश्किल, सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो?
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो?
हम-तुम कहीं को जा रहे हों और रस्ता भूल जाएँ (ओहो)
हम-तुम कहीं को जा रहे हों और रस्ता भूल जाएँ
तेरे बैंया के झूले में सैंया Bobby झूल जाए
हम-तुम एक कमरे में बंद हों और चाबी ख़ो जाए

बस्ती से दूर पर्वत के पीछे, मस्ती में चूर घने पेड़ों के नीचे
अंदेखी अंजानी सी जगह हो
बस एक हम हों और दूजी हवा हो, सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो?
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो?
हम-तुम एक जंगल से गुज़रें और शेर आ जाए
हम-तुम एक जंगल से गुज़रें और शेर आ जाए
शेर से में कहूँ तुमको छोड़ दे, मुझे ख़ा जाए
हम-तुम एक कमरे में बंद हों और चाबी ख़ो जाए

ऐसे क्यों खोए हुए हो? जागे हो कि सोये हुए हो
क्या होगा कल किसको ख़बर है, थोड़ा सा मेरे दिल में ये डर है
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो?
सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो?
हम-तुम यूँ ही हँस-खेल रहे हों और आँख़ भर आए
हम-तुम यूँ ही हँस-खेल रहे हों और आँख़ भर आए
तेरे सर की क़सम तेरे ग़म से Bobby मर जाए
हम-तुम एक कमरे में बंद हों और चाबी ख़ो जाए
तेरे नैनों की भूल-भुलैया में Bobby खो जाए
हम-तुम...
हम-तुम एक कमरे में बंद हों
एक कमरे में बंद हों और चाबी ख़ो जाए
और चाबी ख़ो जाए, और चाबी ख़ो जाए
और चाबी ख़ो जाए, ख़ो जाए



Credits
Writer(s): Anand Bakshi, Kudalkar Laxmikant, Pyarelal Lakshmikant
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