Jab Ishq Kahin Ho Jata Hai

(आदाब अर्ज़ है, आदाब अर्ज़ है)
(तदली, तदली)

जब इश्क़ कहीं हो जाता है
तब ऐसी हालत होती है
महफ़िल में जी घबराता है
तन्हाई की आदत होती है

जब इश्क़ कहीं हो जाता है
तब ऐसी हालत होती है
महफ़िल में जी घबराता है
तन्हाई की आदत होती है
जब इश्क़ कहीं हो जाता है

आ, ये इश्क़ छुपाए छुप ना सका
ये इश्क़ वो चलता जादू है
हाय, कुछ होश नहीं रहते कायम
इस इश्क़ पे किसका काबू है (आ)

है इश्क़ में जोख़म इतने
गोया महबूब का गेसू है
हर जानिब फैलती जाती है
इस इश्क़ की ऐसी खुशबू है

चेहरे से हया हो जाती है
क्या चीज़ मोहब्बत होती है
महफ़िल में जी घबराता है
तन्हाई की आदत होती है

जब इश्क़ कहीं हो जाता है
हो, तब ऐसी हालत होती है
महफ़िल में जी घबराता है
तन्हाई की आदत होती है
जब इश्क़ कहीं हो जाता है

अव्वल तो कभी नींद आती नहीं
आती है तो ख़्वाब सताते हैं
डसती हैं जुदाई की घड़ियाँ
तन्हाई के दिन तड़पाते हैं

घुटता है गला, रुकता है ये दम
आँसू के दिये थर्राते हैं
सपनों में वो मिलने आते हैं
ग़म दे के चले भी जाते हैं

हर रोज़ ये मेले होते हैं
हर रोज़ क़यामत होती है
महफ़िल में जी घबराता है
तन्हाई की आदत होती है

जब इश्क़ कहीं हो जाता है
तब ऐसी हालत होती है
महफ़िल में जी घबराता है
तन्हाई की आदत होती है
जब इश्क़ कहीं हो जाता है

आ, आँखों में हैं लाखों अफ़साने
ख़ामोश हैं लब वो मंज़िल है
हर साँस में लाखों तूफ़ाँ हैं
तूफ़ान में दिल का साहिल है (आ)

अरमान मचलते रहते हैं
ये दर्द बड़ा ही क़ातिल है
रोके से क़यामत रुक जाए
पर रोकना दिल का मुश्क़िल है

दीदार की प्यासी आँखों को
दीदार की हसरतें होती है
महफ़िल में जी घबराता है
तन्हाई की आदत होती है

जब इश्क़ कहीं हो जाता है
तब ऐसी हालत होती है
महफ़िल में जी घबराता है
तन्हाई की आदत होती है
जब इश्क़ कहीं हो जाता है



Credits
Writer(s): Jaikshan Shankar, Jaipuri Hasrat
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