Chandaa Ki Bindiyaa

हो, चंदा की बिंदिया माथे सजाके सोने चली है रात
हवा के रथ पे, ख़्वाबों के छत पे सोने चली है रात
चंदा की बिंदिया माथे सजाके सोने चली है रात
हवा के रथ पे, ख़्वाबों के छत पे सोने चली है रात

तुझको काहे नींद ना आए...
तुझको काहे नींद ना आए, जानूँ ना क्या है बात
चंदा की बिंदिया माथे सजाके सोने चली है रात

पीपल के पीछे आँखें मिचे, चाँद भी थक के सो गया

पीपल के पीछे आँखें मिचे, चाँद भी थक के सो गया
पलकों पे आके, तुझको बुलाके सपनों का पंछी खो गया

तुझको काहे नींद ना आए...
तुझको काहे नींद ना आए, जानूँ ना क्या है बात
चंदा की बिंदिया माथे सजाके सोने चली है रात

झिलमिल तारे बुझ गए सारे, कोरा अँधेरा हो गया

हो, झिलमिल तारे बुझ गए सारे, कोरा अँधेरा हो गया
नैना तरसे, नींद ना बरसे, सारा जहाँ चुप हो गया

तुझको काहे नींद ना आए...
तुझको काहे नींद ना आए, जानूँ ना क्या है बात
चंदा की बिंदिया माथे सजाके सोने चली है रात



Credits
Writer(s): Manoj Tapadiya
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