Jaan Boojh Kar

जान बूझ कर...
जान बूझ कर मैं दीवानी क्यूँ हो जाऊँ, ना बाबा
प्यार-मोहब्बत का मैं दिल में रोग लगाऊँ, ना बाबा
जान बूझ कर मैं दीवानी क्यूँ हो जाऊँ, ना बाबा

नि, सा, पा, सा
पा-रे-सा-रे, सा-नि-सा
पा, पा

तौबा-तौबा, मैं ना करूँगी प्यार किसी दीवाने से
दिल को जलाऊँ नैन लगाके, क्यूँ मैं किसी अनजाने से
...क्यूँ मैं किसी अनजाने से?

बैठे-बिठाए...
बैठे-बिठाए अपने मन का चैन गँवाऊँ, ना बाबा
जान बूझ कर मैं दीवानी क्यूँ हो जाऊँ, ना बाबा

दिल को लगाऊँ, जान से जाऊँ, क्यूँ मैं ऐसे काम करूँ
सारे नगर में, सबकी नज़र में ख़ुद को मैं बदनाम करूँ
...खुद को मैं बदनाम करूँ

अपने ही हाथों...
अपने ही हाथों अपने घर में आग लगाऊँ, ना बाबा
प्यार-मोहब्बत का मैं दिल में रोग लगाऊँ, ना बाबा
जान बूझ कर मैं दीवानी क्यूँ हो जाऊँ, ना बाबा



Credits
Writer(s): Zameer Qazmi, Bhupinder Singh
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link