Kainat Chale

नज़र उठाओ ज़रा तुम तो कायनात चले
नज़र उठाओ ज़रा तुम तो कायनात चले
है इंतज़ार के आँखों से कोई बात चले
है इंतज़ार के आँखों से कोई बात चले
नज़र उठाओ ज़रा तुम तो कायनात चले

तुम्हारी मर्ज़ी बिना वक़्त भी अपाहज है

तुम्हारी मर्ज़ी बिना वक़्त भी अपाहज है
न दिन खिसकता है आगे, न आगे रात चले
न दिन खिसकता है आगे, न आगे रात चले
है इंतज़ार के आँखों से कोई बात चले
नज़र उठाओ ज़रा तुम तो कायनात चले

न जाने उंगली छुड़ाकर निकल गया है किधर

न जाने उंगली छुड़ाकर निकल गया है किधर
बहोत कहा था ज़माने से साथ-साथ चले
बहोत कहा था ज़माने से साथ-साथ चले
है इंतज़ार के आँखों से कोई बात चले
नज़र उठाओ ज़रा तुम तो कायनात चले

किसी भिखारी का टूटा हुआ कटोरा है

किसी भिखारी का टूटा हुआ कटोरा है
गले में डाले उसे, आसमां पे रात चले
गले में डाले उसे, आसमां पे रात चले
है इंतज़ार के आँखों से कोई बात चले
नज़र उठाओ ज़रा तुम तो कायनात चले
तो कायनात चले, तो कायनात चले, तो कायनात चले



Credits
Writer(s): Gulzar, Jagjit Singh
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