Issi Baat Pe

अगर ज़िन्दगी हो खुद में कहीं
फिर क्यों रहे किसी की कमी
बोझ बनके रहे क्यों सुबह किसी रात पे
आ बदल डालें रस्में सभी इसी बात पे
इसी बात पे, इसी बात पे
इसी बात पे
माँगा नहीं है कभी आसमां
हाँ मगर एक झरोखा खुला तो रखो
जीत दम तोड़ दे ना कभी किसी मात पे
हाँ बदल डालें रस्में सभी इसी बात पे
इसी बात पे, इसी बात पे
इसी बात पे, इसी बात पे

माँगा नहीं है कभी आसमां
हाँ मगर एक झरोखा खुला तो रखो
जीत दम तोड़ दे ना कभी किसी मात पे
हाँ बदल डालें रस्में सभी इसी बात पे
इसी बात पे, इसी बात पे
इसी बात पे, इसी बात पे



Credits
Writer(s): Amit Trivedi, Amitabh Bhattacharya
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