Khamosh Raat - From "Thakshak"

ख़ामोश रात, सहमी हवा
तन्हा-तन्हा दिल अपना
तन्हा-तन्हा दिल अपना
और दूर कहीं रोशन हुआ एक चेहरा

एक चेहरा, एक चेहरा
ये सच है या सपना?
ये सच है या सपना?
ये सच है या सपना?

ख़ामोश रात, सहमी हवा
तन्हा-तन्हा दिल अपना
तन्हा-तन्हा दिल अपना
और दूर कहीं रोशन हुआ एक चेहरा

एक चेहरा, एक चेहरा
ये सच है या सपना?
ये सच है या सपना?

झुकी-झुकी पलकें जब उठीं, नैनों में दीये मद्धम-मद्धम
अधखुले होंठों से हँसी झाँक रही मद्धम-मद्धम
कैसे? कहाँ फिर हो गई उसकी छवि मद्धम-मद्धम?
पल-पल उठती हसरतें, होने लगी मद्धम-मद्धम

और दूर कहीं रोशन हुआ एक चेहरा

एक चेहरा, एक चेहरा

सूरज था बे-नूर सा, उसकी दमक मद्धम-मद्धम
चाँद भी था बुझा-बुझा, तारे भी थे मद्धम-मद्धम
जुगनू दिलासा देने लगे, नन्ही सी जान मद्धम-मद्धम
शमा भी थक-हार के होने लगे मद्धम-मद्धम

और दूर कहीं रोशन हुआ एक चेहरा

एक चेहरा, एक चेहरा

(सा-प-प, म-ग, म-ग, म-प)
(द-म-ग-स, स-रे-स, द-स-रे)
(सा-प-प, म-ग, म-ग, म-प)
(द-म-ग-स, स-रे-स, द-स-रे)
(सा-प-प, म-ग, म-ग, म-प)
(द-म-ग-स, स-रे-स, द-स-रे)

जीने का था हममें दम, पर नहीं था कोई हमदम
ख़ुशियों की थी जुस्तुजू, मिल रहे थे बस ग़म ही ग़म
शोर में इस दुनिया के भी ख़ामोशी थी, और एक थे हम
राहें सभी थीं सूनी-सूनी, उठ रहे थे क़दम थम-थम

और दूर कहीं रोशन हुआ एक चेहरा

एक चेहरा, एक चेहरा
ये सच है या सपना?
ये सच है या सपना?

ख़ामोश रात, सहमी हवा
तन्हा-तन्हा दिल अपना
तन्हा-तन्हा दिल अपना
और दूर कहीं रोशन हुआ एक चेहरा

एक चेहरा, एक चेहरा
ये सच है या सपना?
ये सच है या सपना?



Credits
Writer(s): A R Rahman, Kotwal Mehboob Alam
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