Hum Bewafa Hargiz Na Thay - From "Shalimar"

हम बेवफ़ा हरगिज़ न थे, पर हम वफ़ा कर न सके
हमको मिली उसकी सज़ा, हम जो ख़ता कर न सके
हम बेवफ़ा हरगिज़ न थे, पर हम वफ़ा कर न सके

झिंगा ला-ला हुं, झिंगा ला-ला हुं
झिंगा ला-ला हुं, हुर्र-हुर्र

कितनी अकेली थी वो राहें हम जिनपे
अब तक अकेले चलते रहे
तुझसे बिछड़ के भी, ओ बेखबर
तेरे ही ग़म में जलते रहे
तूने किया जो शिकवा, हम वो गिला कर ना सके
हम बेवफ़ा हरगिज़ न थे, पर हम वफ़ा कर न सके

तुम ने जो देखा सुना सच था मगर
कितना था सच ये किस को पता
जाने तुम्हे मैंने कोई धोखा दिया
जाने तुम्हे कोई धोखा हुआ
इस प्यार में सच झूठ का, तुम फैसला कर ना सके
हम बेवफ़ा हरगिज़ न थे, पर हम वफ़ा कर न सके

झिंगा ला-ला हुं, झिंगा ला-ला हुं
झिंगा ला-ला हुं, हुर्र-हुर्र



Credits
Writer(s): R. D. Burman
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