Jab Bhi Jee Chahe - From "Daag"

जब भी जी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग
जब भी जी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग
एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग
एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग

जब भी जी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग
एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग
एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग

याद रहता है किसे गुज़रे ज़माने का चलन?
याद रहता है किसे?
सर्द पड़ जाती है चाहत, हार जाती है लगन
अब मोहब्बत भी है क्या एक तिजारत के सिवा?
हम ही नादाँ थे जो ओढ़ा बीती यादों का कफ़न

वर्ना जीने के लिए सब कुछ भुला लेते हैं लोग
वर्ना जीने के लिए सब कुछ भुला लेते हैं लोग
एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग

जाने वो क्या लोग थे जिनको वफ़ा का पास था
जाने वो क्या लोग थे...
दूसरे के दिल पे क्या गुज़रेगी, ये अहसास था
अब हैं पत्थर के, सनम, जिनको एहसास ना ग़म
वो ज़माना अब कहाँ जो अहल-ए-दिल को रास था

अब तो मतलब के लिए नाम-ए-वफ़ा लेते हैं लोग
अब तो मतलब के लिए नाम-ए-वफ़ा लेते हैं लोग
जब भी जी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग
एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग
एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग



Credits
Writer(s): Laxmikant-pyarelal, Sahir Ludhianvi
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