Ghar Se Nikalte Hi (From "Papa Kahte Hain")

घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही
रस्ते में है उसका घर
कल सुबह देखा तो, बाल बनाती वो
खिड़की में आई नज़र

घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही
रस्ते में है उसका घर
कल सुबह देखा तो, बाल बनाती वो
खिड़की में आई नज़र
घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही

मासूम चेहरा, नीची निगाहें
भोली सी लड़की, भोली अदायें
ना अप्सरा है, ना वो परी है
लेकिन यह उसकी जादूगरी है
दीवाना कर दे वो, इक रँग भर दे वो
शर्मा के देखे जिधर

घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही
रस्ते में है उसका घर

करता हूँ उसके घर के मैं फेरे
हँसने लगे हैं अब दोस्त मेरे
सच कह रहा हूँ, उसकी कसम है
मैं फिर भी खुश हूँ, बस एक ग़म है
जिसे प्यार करता हूँ, मैं जिस पे मरता हूँ
उसको नहीं है खबर
घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही
रस्ते में है उसका घर

लड़की है जैसे, कोई पहेली
कल जो मिली मुझको उसकी सहेली
मैंने कहा उसको, जा के ये कहना
अच्छा नहीं है, यूँ दूर रहना
कल शाम निकले वो, घर से टहलने को
मिलना जो चाहे अगर
घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही
रस्ते में है उसका घर
कल सुबह देखा तो, बाल बनाती वो
खिड़की में आई नज़र



Credits
Writer(s): Javed Akhtar
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