Main Sochta Hoon

मैं सोचता हूँ, तुम्हारी दुनिया से दूर मैंने
जो कोई दुनिया बना ली होती
तो ज़िंदगी कितनी ख़ाली होती

मैं सोचती हूँ कि मेरे सपनों में तुम ही तुम हो
ये बात मैंने छुपा ली होती
तो ज़िंदगी कितनी ख़ाली होती

मैं क्या बताऊँ कि तुमसे मिल के
मैं किस तरह से बदल गई हूँ

हो, मैं फूल बन के महक रही हूँ
मैं शम्मा बन के पिघल गई हूँ

मैं सोचता हूँ, जो तुम ना लाती हसीं उजाले
तो रात होती, जो काली होती
तो ज़िंदगी कितनी ख़ाली होती

जो तुम नहीं थी तो जैसे मेरी
हर एक ख़ुशी में कोई कमी थी

मैं हँस रहा था, मगर इन आँखों में
फिर भी जैसे कोई नमी थी

मैं सोचती हूँ, जो आरज़ू है वो दिल में रहती
ना हमने लब से निकाली होती
तो ज़िंदगी कितनी ख़ाली होती

मैं सोचता हूँ, तुम्हारी दुनिया से दूर मैंने
जो कोई दुनिया बना ली होती
तो ज़िंदगी कितनी ख़ाली होती



Credits
Writer(s): Javed Akhtar, Madan Mohan
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