Kismat Ka To

हँसना है, कभी रोना है
खोना है, कभी पाना है
क़िस्मत का तो यही फ़साना है
क़िस्मत का तो यही फ़साना है

समझा है, यही जाना है
हर लम्हा अनजाना है
क़िस्मत का तो यही फ़साना है
क़िस्मत का तो यही फ़साना है

कोई कहे "चाँदी," कोई कहे "सोना"
इंसाँ है मिट्टी का खिलौना
कोई कहे "चाँदी," कोई कहे "सोना"
इंसाँ है मिट्टी का खिलौना

जीवन तो है एक सफ़र, हो
कब ख़त्म हो क्या ख़बर, क्या ख़बर

एक पल में यहाँ जीना है
दूजे पल मर जाना है
क़िस्मत का तो यही फ़साना है
क़िस्मत का तो यही फ़साना है

कभी है सँवरना, कभी है बिखरना
कभी तो है मिलना, कभी है बिछड़ना
कभी है सँवरना, कभी है बिखरना
कभी तो है मिलना, कभी है बिछड़ना

रिश्ते हैं क्यूँ अजनबी? हो
दुश्वार है ज़िंदगी, ज़िंदगी

उलझन के धागों को
जीवन-भर सुलझाना है
क़िस्मत का तो यही फ़साना है
क़िस्मत का तो यही फ़साना है

आते हैं उजाले, जाते हैं अँधेरे
आती हैं ख़िज़ाँएँ, जाती हैं बहारें
आते हैं उजाले, जाते हैं अँधेरे
आती हैं ख़िज़ाँएँ, जाती हैं बहारें

क़िस्मत यही सब करेगी, हो
होनी तो हो के रहेगी, हाँ, रहेगी

लिखा है, जो होना है
बाक़ी तो सब बहाना है
क़िस्मत का तो यही फ़साना है
क़िस्मत का तो यही फ़साना है

देखो ना ये क़िस्मत की मजबूरी
दिन नहीं चाहे कहना ज़रूरी
देखो ना ये क़िस्मत की मजबूरी
दिन नहीं चाहे कहना ज़रूरी

कैसे कहे, क्या हुआ, हाए
कहना भी है इक सज़ा, इक सज़ा

अश्कों के समंदर में
लफ़्ज़ों को डूब जाना है
क़िस्मत का तो यही फ़साना है
क़िस्मत का तो यही फ़साना है



Credits
Writer(s): Sameer Sen, Dilip Sen, Shrvan Sinha
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