Uski Hasrat Hai Jise Dil Se Mita

उसकी हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँ
उसकी हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँ
ढूँढने उस को चला हूँ जिसे पा भी न सकूँ
उसकी हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँ

मेहरबाँ होके बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त
मेहरबाँ हो कि बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त
मैं गया वक़्त नहीं हूँ कि फिर आ भी न सकूँ
मेहरबाँ होके बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त

डाल कर ख़ाक़ मेरे ख़ून पे क़ातिल ने कहा
कुछ ये मेंहदी नहीं मेरी कि छुपा भी न सकूँ
डाल कर ख़ाक़ मेरे ख़ून पे क़ातिल ने कहा

ज़ोफ़ में ताना-ए-अग़यार का शिक़वा क्या है?
ज़ोफ़ में ताना-ए-अग़यार का शिक़वा क्या है?
बात कुछ सर तो नहीं है कि उठा भी न सकूँ
मैं गया वक़्त नहीं हूँ कि फिर आ भी न सकूँ
मेहरबाँ होके बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त

ज़ब्त कमबख़्त ने और आ के गला घोंटा है
कि उसे हाल सुनाऊँ तो सुना भी न सकूँ
उसकी हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँ

ज़हर मिलता ही नहीं मुझको सितमगर वर्ना
ज़हर मिलता ही नहीं मुझको सितमगर वर्ना
क्या क़सम है तेरे मिलने की, कि खा भी न सकूँ?
क्या क़सम है तेरे मिलने की, कि खा भी न सकूँ?
मेहरबाँ होके बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त

उस के पहलू में जो ले जा के सुला दूँ दिल को
नींद ऐसी उसे आए कि जगा भी न सकूँ
उसकी हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँ
मैं गया वक़्त नहीं हूँ कि फिर आ भी न सकूँ
उसकी हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँ



Credits
Writer(s): Mirza Ghalib, Ameer Meenai, Jagjit Singh
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