Ab Ke Hum Bicchde

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिले
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिले
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिले
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिले
अब के हम बिछड़े...

तू खुदा है, न मेरा इश्क़ फरिश्तों जैसा
तू खुदा है, तू, तू, तू, तू
तू खुदा है, न मेरा इश्क़ फरिश्तों जैसा
दोनों इंसा हैं तो, क्यूँ इतने हिजाबों में मिले?
अब के हम बिछड़े...

ढूँढ़ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ढूँढ़ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये खज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिले
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिले
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिले



Credits
Writer(s): Roop Kumar Rathod
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