Ab Ke Baras Bhejo

अब के बरस भेज भैया को बाबूल
सावन में लीजो बुलाय रे
लौटेंगी जब मेरे बचपन की सखियाँ
दीजो संदेसा भिजाय रे
अब के बरस भेज भैया को बाबूल

अंबुवा तले फिर से झूले पड़ेंगे
रिमझीम पड़ेंगी फुहारें
लौटेंगी फिर तेरे आँगन में बाबूल
सावन की ठंडी बहारे

छलके नयन मोरा, कसके रे जियरा
बचपन की जब याद आये रे

अब के बरस भेज भैया को बाबूल

बैरन जवानी ने छीने खिलौने
और मेरी गुड़िया चुराई
बाबूल थी मैं तेरे नाजों की पाली
फिर क्यों हुई मैं पराई

बीते रे जुग कोई चिठीया ना पाती
ना कोई नैहर से आये रे

अब के बरस भेज भैया को बाबूल
सावन में लीजो बुलाय रे
लौटेंगी जब मेरे बचपन की सखियाँ
दीजो संदेसा भिजाय रे
अब के बरस भेज भैया को बाबूल



Credits
Writer(s): Shailendra, S Burman
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