Chalti Chakki Dekh Ke

चलती चक्की देख के दिया कबीरा रोय
चलती चक्की देख के दिया कबीरा रोय
दो पाटन के बीच में साबित बचा न कोय
साबित बचा न कोय

देह धरे को दंड है, सब काहु को होय?
देह धरे को दंड है, सब काहु को होय?
ज्ञानी भुगते ज्ञान करी, मूरख भुगते रोय

कबीरा प्याला प्रेम का अंतर दियो लगाय
कबीरा प्याला प्रेम का अंतर दियो लगाय
रोम-रोम में रमी रहा और अमल क्या खाय
और अमल क्या खाय

पोथी पढ़ी-पढ़ी जग मुआ, पंडित भया ना कोय
पोथी पढ़ी-पढ़ी जग मुआ, पंडित भया ना कोय
ढाई आक्षर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय

मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है सो तेरा
मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है सो तेरा
तेरा तुझको सौंपता, क्या लागे है मेरा
क्या लागे है मेरा

कबीरा बादल प्रेम का हमपर बरसे आय
कबीरा बादल प्रेम का हमपर बरसे आय
अंतर भीगी आत्मा, हरि-भयी बनराय

कबीरा सोई पीर है, जो जाने पर पीर
कबीरा सोई पीर है, जो जाने पर पीर
जो पर पीर ना जाने सो काफ़िर बे-पीर
सो काफ़िर बे-पीर

साईं इतना दीजिए जा में कुटुंब सामय
साईं इतना दीजिए जा में कुटुंब सामय
मैं भी भूखा ना रहूँ, साधू ना भूखा जाय

दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे ना कोय
दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे ना कोय
जो सुख में सुमिरन करे, दुख काहे को होय
दुख काहे को होय, दुख काहे को होय



Credits
Writer(s): Sant Kabir, Raghunath Seth
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