Yeh Dilnashin Nazare

ये दिलनशीं नज़ारे करते हैं क्या इशारे
ये कौन पर्बतों से छुपकर मुझे पुकारे?
ये दिलनशीं नज़ारे करते हैं क्या इशारे
ये कौन पर्बतों से छुपकर मुझे पुकारे?

बन-बन में गूँजती हैं किसकी हँसी सदाएँ
दिल की जवाँ उमंगें रह-रह के चौंक जाएँ
बन-बन में गूँजती हैं किसकी हँसी सदाएँ
दिल की जवाँ उमंगें रह-रह के चौंक जाएँ

चुपके से आन बैठे कोई मेरे सहारे
ये कौन पर्बतों से छुपकर मुझे पुकारे?

फूलों की ओट ले कर ये कौन मुस्कुराए?
पल-पल गुज़र रहे हैं किसके बदन के साए
फूलों की ओट ले कर ये कौन मुस्कुराए?
पल-पल गुज़र रहे हैं किसके बदन के साए

पैरों के कुछ निशाँ हैं सच-मुच नदी किनारे
ये कौन पर्बतों से छुपकर मुझे पुकारे

सब कुछ लगे फ़साना, सब कुछ लगे कहानी
चेहरे को उसके छू कर हर सुबह हो सुहानी

उसकी हँसी चुराए रातों के चाँद-तारे
ये कौन पर्वतों से छुपकर मुझे पुकारे?
ये दिलनशीं नज़ारे करते हैं क्या इशारा
ये कौन पर्बतों...



Credits
Writer(s): Mohammed Zahur Khayyam, Jan Nisar Akhtar
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