Rafta - Rafta

ग़ुस्से से उठ चले हो तो दामन को झाड़ कर
जाते रहेंगे हम भी गरेबान फाड़ कर
दिल वो नगर नहीं कि फिर आबाद हो सके
पछताओगे, सुनो, हो, ये बस्ती उजाड़ कर

ज़ालिम, ये क्या निकाली रफ़्तार, रफ़्ता-रफ़्ता
ज़ालिम, ये क्या निकाली रफ़्तार, रफ़्ता-रफ़्ता
इस चाल पर चलेगी तलवार रफ़्ता-रफ़्ता
ज़ालिम, ये क्या निकाली रफ़्तार, रफ़्ता-रफ़्ता

हर आन हमको तुझ बिन एक, एक बरस हुई हैं
हर आन हमको तुझ बिन एक, एक बरस हुई हैं
क्या आ गया ज़माना, ऐ, यार, रफ़्ता-रफ़्ता
ज़ालिम, ये क्या निकाली रफ़्तार, रफ़्ता-रफ़्ता

ये ही सुलूक उसके अक्सर चले गए तो
ये ही सुलूक उसके अक्सर चले गए तो
बैठेंगे अपने घर हम नाचार रफ़्ता-रफ़्ता
ज़ालिम, ये क्या निकाली रफ़्तार, रफ़्ता-रफ़्ता

थे एक हम में दोनों, सो इत्तिहाद कैसा?
थे एक हम में दोनों, सो इत्तिहाद कैसा?
हर बात पर अब आई तकरार रफ़्ता-रफ़्ता
ज़ालिम ये क्या निकाली रफ़्तार, रफ़्ता-रफ़्ता

इस चाल पर चलेगी तलवार रफ़्ता-रफ़्ता
ज़ालिम, ये क्या निकाली रफ़्तार, रफ़्ता-रफ़्ता



Credits
Writer(s): Ali-ghani, Meer Taqi Meer
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