Aalam - Aalam

ग़म रहा जब तक कि दम में दम रहा
दिल के जाने का निहायत ग़म रहा
मेरे रोने की हक़ीक़त जिसमें थी
एक मुद्दत तक वो काग़ज़ नम रहा

आलम-आलम इश्क़-ओ-जुनूँ है
आलम-आलम इश्क़-ओ-जुनूँ है
दुनिया-दुनिया तोहमत है

दरिया-दरिया रोता हूँ मैं
दरिया-दरिया रोता हूँ मैं
सहरा-सहरा वहशत है

आलम-आलम इश्क़-ओ-जुनूँ है
आलम-आलम इश्क़-ओ-जुनूँ है

हम तो इश्क़ में नाक़िस ठहरे
कोई ना इधर देखेगा
हम तो इश्क़ में नाक़िस ठहरे
कोई ना इधर देखेगा

आँख उठा कर वो देखे तो
आँख उठा कर वो देखे तो
ये भी उसकी मुरव्वत है

आलम-आलम इश्क़-ओ-जुनूँ है
आलम-आलम इश्क़-ओ-जुनूँ है

ख़ाक को आदम करके उठाया
जिसके दस्त-ए-क़ुदरत ने
ख़ाक को आदम करके उठाया
जिसके दस्त-ए-क़ुदरत ने

क़द्र नहीं कुछ बंदे की
क़द्र नहीं कुछ बंदे की
ये भी ख़ुदा की क़ुदरत है

आलम-आलम इश्क़-ओ-जुनूँ है
आलम-आलम इश्क़-ओ-जुनूँ है

कोई दम रौनक मजलिस की
और भी है इस दम के साथ
कोई दम रौनक मजलिस की
और भी है इस दम के साथ

यानी चराग़-ए-सुब्ह से हैं हम
यानी चराग़-ए-सुब्ह से हैं हम
दम अपना भी ग़निमत है

आलम-आलम इश्क़-ओ-जुनूँ है
आलम-आलम इश्क़-ओ-जुनूँ है
दुनिया-दुनिया तोहमत है

दरिया-दरिया रोता हूँ मैं
दरिया-दरिया रोता हूँ मैं
सहरा-सहरा वहशत है

आलम-आलम इश्क़-ओ-जुनूँ है
आलम-आलम इश्क़-ओ-जुनूँ है



Credits
Writer(s): Ali-ghani, Meer Taqi Meer
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