Suno Seeta Ki Kahani

डोल गई धरती की काया
काँप गयो आकाश
बिना दोष के सीता को
जब राम दियो बनबास

सुनो सीता की कहानी कि वो महलों की रानी
छोड़ घर-बार गई बनवास, किसी ने कदर ना जानी
(सुनो सीता की कहानी कि वो महलों की रानी)
(छोड़ घर-बार गई बनवास, किसी ने कदर ना जानी)

डगर-डगर भटके बनवासिन, पग-पग ठोकर खाए
भूखी-प्यासी फिरे वो बन में, मन में पीर छुपाए
पढ़ गए छाले पाँव में, दो नैन कमल मुरझाए

(राम सिया राम, जय-जय राम, सिया राम)
(राम सिया राम, जय-जय राम, सिया राम)

पड़ गए छाले पाँव में, दो नैन कमल मुरझाए
नैन कमल मुरझाए (नैन कमल मुरझाए)
कैसे सुने कथा ये कोई, कैसे कोई सुनाए?
(राम, सिया राम, सिया राम, सिया राम)
कैसे सुने कथा ये कोई, कैसे कोई सुनाए?
छलक पड़े नैनन की गगरी
छम-छम बरसे पानी रे, छम-छम बरसे पानी

(सुनो सीता की कहानी कि वो महलों की रानी)
(छोड़ घर-बार गई बनवास, किसी ने कदर ना जानी)

देखों दुनिया वालों सीता, सती की प्रीत महान
(सती, सीता की प्रीत महान)
जिसने दिया बनवास उसी के ही करती गुणगान
(उसी के ही करती गुणगान)
कहे प्रभु से कुछ माँगूँ तो माँगूँ ये वरदान

(राम, सिया राम, जय-जय राम, सिया राम)
(राम, सिया राम, जय-जय राम, सिया राम)
कहे प्रभु से कुछ माँगूँ तो माँगूँ ये वरदान
माँगूँ ये वरदान (माँगूँ ये वरदान)
अपने पति के चरणों में ही निकले मेरे प्राण

(राम, सिया राम, सिया राम, सिया राम)
अपने पति के चरणों में ही निकले मेरे प्राण (राम सिया राम...)
राम सिया राम, सिया राम, सिया राम
अपने पति के चरणों में ही निकले मेरे प्राण (राम सिया राम...)



Credits
Writer(s): Prem Dhawan, Salil Choudhury
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