Phir Kahin Koi Phool Khila

फिर कहीं...

फिर कहीं कोई फूल खिला
"चाहत" ना कहो उसको
फिर कहीं कोई फूल खिला
"चाहत" ना कहो उसको
फिर कहीं कोई दीप जला
"मंज़िल" ना कहो उसको
फिर कहीं...

मन का समंदर प्यासा हुआ
क्यूँ किसी से माँगें दुआ?
मन का समंदर प्यासा हुआ
क्यूँ किसी से माँगें दुआ?

लहरों का लगा जो मेला
"तूफ़ाँ" ना कहो उसको
फिर कहीं कोई फूल खिला
"चाहत" ना कहो उसको
फिर कहीं...

देखें क्यूँ सब वो सपने
ख़ुद ही सजाए जो हमने?
देखें क्यूँ सब वो सपने
ख़ुद ही सजाए जो हमने?

दिल उनसे बहल जाए तो
"राहत" ना कहो उसको
फिर कहीं कोई...



Credits
Writer(s): Kanu Roy, Kapil Kumar
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