Mera Dil Jo Mera Hota

मेरा दिल जो मेरा होता
पलकों से पकड़ लेती
होंठों पे उठा लेती
हाथों में ख़ुदा होता
मेरा दिल...

सूरज को मसल के मैं
चंदन के तरह मलती
सोने का बदन लेकर
कुंदन की तरह जलती

इस गोरे से चेहरे पर
आईना फ़िदा होता
मेरा दिल...

बरसा है कई बरसों
आकाश-समंदर में
इक बूँद है चंदा की
उतरे ना समंदर में

दो हाथों की ओक में ये
गिर पड़ता तो क्या होता?
हाथों में ख़ुदा होता

मेरा दिल जो मेरा होता
पलकों से पकड़ लेती
हाथों में ख़ुदा होता
मेरा दिल...



Credits
Writer(s): Gulzar, Kanu Roy
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