Chal Ud Jare Panchhi, Pt. 2

चल, उड़ जा रे पंछी...
चल, उड़ जा रे पंछी कि अब ये देस हुआ बेगाना
चल, उड़ जा रे पंछी कि अब ये देस हुआ बेगाना
चल, उड़ जा रे पंछी...

ख़त्म हुए दिन उस डाली के जिस पर तेरा बसेरा था
ख़त्म हुए दिन उस डाली के जिस पर तेरा बसेरा था
आज यहाँ और कल हो वहाँ, ये जोगी वाला फेरा था
ये तेरी जागीर नहीं थी...
ये तेरी जागीर नहीं थी, चार घड़ी का डेरा था

सदा रहा है इस दुनिया में किसका आब-ओ-दाना?
चल, उड़ जा रे पंछी कि अब ये देस हुआ बेगाना
चल, उड़ जा रे पंछी कि अब ये देस हुआ बेगाना
चल, उड़ जा रे पंछी...

तूने तिनका-तिनका चुनकर नगरी एक बसाई
तूने तिनका-तिनका चुनकर नगरी एक बसाई
बारिश में तेरी भीगी पाखे, धूप में गर्मी खाई
ग़म ना कर...
ग़म ना कर, जो तेरी मेहनत तेरे काम ना आई

अच्छा है कुछ ले जाने से, दे कर ही कुछ जाना
चल, उड़ जा रे पंछी कि अब ये देस हुआ बेगाना
चल, उड़ जा रे पंछी...



Credits
Writer(s): Chitragupta, Rajinder Krishan
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