Teri Ankh Ke Ansoo Pee Jaoon

तेरा ग़म-ख़्वार हूँ, लेकिन मैं तुझ तक आ नहीं सकता
मैं अपने नाम तेरी बेकसी लिखवा नहीं सकता

तेरी आँख के आँसू पी जाऊँ, ऐसी मेरी तक़दीर कहाँ
तेरी आँख के आँसू पी जाऊँ, ऐसी मेरी तक़दीर कहाँ
तेरे ग़म में तुझको बहलाऊँ, ऐसी मेरी तक़दीर कहाँ
तेरी आँख के आँसू पी जाऊँ...

ऐ काश, जो मिल कर रोते, कुछ दर्द तो हल्के होते
बेकार ना जाते आँसू, कुछ दाग़ जिगर के धोते
फिर रंज ना होता इतना, है तन्हाई में जितना
अब जाने ये रस्ता ग़म का है और भी लंबा कितना

हालात की उलझन सुलझाऊँ...
हालात की उलझन सुलझाऊँ, ऐसी मेरी तक़दीर कहाँ
तेरी आँख के आँसू पी जाऊँ...

क्या तेरी ज़ुल्फ़ का लहरा है अब तक वही सुनहरा?
क्या अब तक तेरे दर पे देती हैं हवाएँ पहरा?
लेकिन है ये ख़ाम-ख़याली, तेरी ज़ुल्फ़ बनी है सवाली
मोहताज है एक कली की, एक रोज़ थी फूलों वाली

वो ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ महकाऊँ...
वो ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ महकाऊँ, ऐसी मेरी तक़दीर कहाँ
तेरी आँख के आँसू पी जाऊँ, ऐसी मेरी तक़दीर कहाँ
तेरी आँख के आँसू पी जाऊँ...



Credits
Writer(s): Rajinder Krishan, Madan Mohan
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