Socho

सोचो, जीवन है क्या
देखो ज़रा जिए कैसे आदमी
कोई रो के जिए, कोई खो के जिए
कोई तो तंग है भूख से

सोचो, जीवन है क्या

कोई धूप में जले यहाँ ग़रीबी से
कोई तो महलों में बैठा है चैन से
ख़ुशनुमा प्यार की छाँवों में

सोचो (सोचो, सोचो, सोचो), जीवन है क्या
पतझड़ जहाँ, वहीं पे बहार है (है, है, है, है, है, है)
अँधेरा जहाँ, है उजाला वहाँ
दर्द के साथ ही चैन है (है, है, है)

सोचो, जीवन है क्या

कहीं प्यास है दबी-दबी निगाहों में
कहीं पे जलसे हैं ख़ुशियों के
आँसुओं का कहीं मातम है

सोचो (सोचो), जीवन है क्या (जीवन है क्या)
हारे ना जो, उसी की तो जीत है (है, है)
फ़ासला है जहाँ, मंज़िलें हैं वहाँ
चाहतों से झुके आसमाँ

सोचो, जीवन है क्या
देखो ज़रा जिए कैसे आदमी (आदमी)
कोई रो के जिए, कोई खो के जिए
कोई तो तंग है भूख से

ला, ला, जीवन है क्या?



Credits
Writer(s): Raju Singh, Sameer
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