KK - Saaya

Kabhi Khushboo

कभी ख़ुशबू, कभी झोंका, कभी हवा सा लगे
जुदा हो कर भी तू मुझसे जुड़ा-जुड़ा सा लगे

कभी ख़ुशबू, कभी झोंका, कभी हवा सा लगे
जुदा हो कर भी तू मुझसे जुड़ा-जुड़ा सा लगे
कभी ख़ुशबू, कभी झोंका, कभी हवा सा लगे

बस यही सोच के रातों को मैं नहीं सोता
"नींद आई तो तेरा ख़्वाब चला आएगा
फिर सुबह जब खुलेंगी आँखें मेरी
तू भी सुबह को सितारे सा चला जाएगा"

आके अब यूँ तेरा जाना बुरा-बुरा सा लगे
जुदा हो कर भी तू मुझसे जुड़ा-जुड़ा सा लगे
कभी ख़ुशबू, कभी झोंका, कभी हवा सा लगे

कोई दस्तक, कोई आहट, कोई आवाज़ नहीं
तू दबे पाँव ख़यालों में चला आता है
बारहा ऐसा भी महसूस हुआ है मुझको
आके चुप-चाप तू पहलू में बैठ जाता है

तू कहीं आज भी मुझमें ज़िंदा-ज़िंदा सा लगे
जुदा हो कर भी तू मुझसे जुड़ा-जुड़ा सा लगे
कभी ख़ुशबू, कभी झोंका, कभी हवा सा लगे

आज भी लम्स धड़कते हैं मेरे सीने में
आज भी तेरी खनकती सी सदा आती है
आज भी जिस्म सुलगता है तेरी साँसों से
आज भी रूह में हलचल मेरे मच जाती है

दिल तेरी याद से अब यूँ भरा-भरा सा लगे
जुदा हो कर भी तू मुझसे जुड़ा-जुड़ा सा लगे
कभी ख़ुशबू, कभी झोंका, कभी हवा सा लगे
जुदा हो कर भी तू मुझसे जुड़ा-जुड़ा सा लगे



Credits
Writer(s): Sayeed Quadri
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