Seena Pada

जो ना होना था, वो मुझे होना पड़ा
आज खो कर तुझे ज़िंदा रहना पड़ा
वक़्त से जो मिला मुझे वो ज़ख़म सीना पड़ा
सीना पड़ा, सीना पड़ा

जो ना होना था, वो मुझे होना पड़ा
आज खो कर तुझे ज़िंदा रहना पड़ा
वक़्त से जो मिला मुझे वो ज़ख़म सीना पड़ा
सीना पड़ा, सीना पड़ा

फिर कहीं शहर में छोटा सा घर बना लूँगा
तू सजा था कभी, उस तरह मैं सजा लूँगा
फिर नए रंगों से रंग लूँगा उसकी दीवारें
कुछ नए ख़्वाब भी गमलों में मैं लगा लूँगा

तेरे ग़म का ज़हर यूँ भी पीना पड़ा
आज खो कर तुझे ज़िंदा रहना पड़ा
वक़्त से जो मिला मुझे वो ज़ख़म सीना पड़ा
सीना पड़ा, सीना पड़ा

वक़्त मरहम है, तेरा ज़ख़्म भी वो भर देगा
बिन तेरे जीने के लायक़ वो मुझे कर देगा
फिर नए रास्ते देगा वो मेरे क़दमों को
फिर मुझे लौट कर आने का कोई दर देगा

टूटा सपना, हाँ, मुझे फिर पिरोना पड़ा
आज खो कर तुझे ज़िंदा रहना पड़ा
वक़्त से जो मिला मुझे वो ज़ख़म सीना पड़ा
सीना पड़ा, सीना पड़ा



Credits
Writer(s): Sayeed Quadri
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