Ek Raja Ki Sunlo Kahani

एक राजा की सुन लो कहानी
एक राजा की सुन लो कहानी

कहीं हाथी ना घोड़े, ना सेना कोई
ना कहीं थी कोई राजधानी
एक राजा की सुन लो कहानी
एक राजा की सुन लो कहानी

एक नगरी थी सागर किनारे
वहाँ रहते थे राजा हमारे
एक रानी भी थी ख़ूबसूरत
जैसे देवी की होती है मूरत

तीन बेटे थे आँखों के तारे
बड़े प्यारे-प्यारे, दिलों के सहारे
वो थे राजा के अनमोल मोती
निगाहों की ज्योति, थे माँ के दुलारे

पलकों की छाँव में गुज़रा था बचपन
मस्ती में डूबी जवानी
एक राजा की सुन लो कहानी
एक राजा की सुन लो कहानी

एक ऐसा मगर दिन भी आया
जिसने राजा को निर्धन बनाया
हो गए ख़ाली सारे ख़ज़ाने
हाय, कैसा ये अँधेर छाया?

उजड़ गया दो रोज़ में
बसा-बसाया राज
कल तक जहाँ बहार थी
धूल उड़े हैं आज

वो जो बेटे थे आँखों के तारे
राजा-रानी के दिल सहारे
काम ऐसे में वो भी ना आए
छुपते फिरते थे आँखें छुपाए

आराम के साथी क्या-क्या थे
जब वक़्त पड़ा तो कोई नहीं
धन-दौलत के सब रिश्ते हैं
धन रूठ गया तो कोई नहीं

कौन गिरते को देता सहारा?
वो राजा बेचारा थका और हारा
सोचता था, कहाँ है वो मोती
वो आँखों की ज्योति, बने जो सहारा

राजा तो चुप-चाप पिता था आँसू
छुप-छुप के रोती थी रानी
एक राजा की सुन लो कहानी
एक राजा की सुन लो कहानी

हो गया अपना ख़ून पराया
हो गया अपना ख़ून पराया
काम मगर एक चाकर आया
एक भोला इंसान वहाँ था
बचपन से मेहमान वहाँ था

उसने जिसके टुकड़े खाए
सदा उसी के पाँव दबाए
उन बेदर्दों की महफ़िल में
एक वही हमदर्द बचा था
लेकिन मालिक को क्या देता?
बेचारे के पास ही क्या था?
बेचारे के पास ही क्या था?

अपने मालिक में क़दमों में रो-रो के
ख़ुश होता चरण उसके धो-धो के
अपना तन-मन न्योछावर वो करता रहा
एक इशारे पे मालिक के मरता रहा

है कहानी, मगर बात कल ही की है
ना समझना इसे तुम पुरानी
एक राजा की सुन लो कहानी
एक राजा की सुन लो कहानी

कहीं हाथी ना घोड़े, ना सेना कोई
ना कहीं थी कोई राजधानी
एक राजा की सुन लो कहानी
एक राजा की सुन लो कहानी



Credits
Writer(s): Rajinder Krishan, Ravi Shankar
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