Mujhi Men Chhup Kar Mujhi Se Door

मुझी में छुप कर मुझी से दूर
ये कैसा दस्तूर, रे मालिक, ये कैसा दस्तूर?

मैंने मन की आँखों से तो
देखा है १०० बार तुझे
लेकिन तन की आँखों से भी
दर्शन दे एक बार मुझे

दर्शन दे, फिर छीन ले अखियाँ
ये मुझको मंज़ूर, रे मालिक, ये मुझको मंज़ूर
मुझी में छुप कर मुझी से दूर
ये कैसा दस्तूर, रे मालिक, ये कैसा दस्तूर?

चली हवा जब तन को छू कर
मैंने तुझे पहचान लिया
तुझ बिन कोमल हाथ ये किसका
होगा मैंने जान लिया

धूप, हवा, सब रूप हैं तेरे
सब में तेरा नूर, रे मालिक, सब में तेरा नूर
मुझी में छुप कर मुझी से दूर
ये कैसा दस्तूर, रे मालिक, ये कैसा दस्तूर?

सच्चे दिल से नाम लूँ तेरा
निर्धन की यही पूजा है
अँधियारे में साथी कोई
और ना तुम बिन दूजा है

तेरी ख़ुशी में ख़ुश है, दाता
हम बंदे मजबूर, रे मालिक, हम बंदे मजबूर
मुझी में छुप कर मुझी से दूर
ये कैसा दस्तूर, रे मालिक, ये कैसा दस्तूर?



Credits
Writer(s): Mohan Madan, Rajinder Krishan
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