Umangon Ko Sakhi Pi Ki Nagariyaa Kaise Le Jaaun, From ''Amar''

उमंगो को सखी पिय की नगरिया कैसे ले जाऊँ?
(उमंगो को सखी पिय की नगरिया कैसे ले जाऊँ?)
कमर लचके मोरी...
हाय, कमर लचके मोरी भारी गगरिया कैसे ले जाऊँ
(कमर लचके मोरी भारी गगरिया कैसे ले जाऊँ?)

डगर में रूप के लोभी, नगर में मन के मैले हैं
(नगर में मन के मैले हैं)
यहाँ पापी नजरियो के हज़ारों जाल फैले हैं
(हज़ारों जाल फैले हैं)

भरे बाज़ार में बाली उमरिया कैसे ले जाऊँ?
कमर लचके मोरी...
(हाय, कमर लचके मोरी भारी गगरिया कैसे ले जाऊँ?)
(उमंगो को सखी पिय की नगरिया कैसे ले जाऊँ?)

मोहे दुनिया से डर लागे, यहाँ लाखों हैं मतवाले
(यहाँ लाखों हैं मतवाले)
ना जाने कोई अलबेला मोहे किस रंग में रंग डाले
(मोहे किस रंग में रंग डाले)

रंगीलों में भला कोरी चुनरिया कैसे ले जाऊँ?
कमर लचके मोरी...
(हाय, कमर लचके मोरी भारी गगरिया कैसे ले जाऊँ?)
(उमंगो को सखी पिय की नगरिया कैसे ले जाऊँ?)

लगा के हाथों में मेंहदी, रचा के नैनों में रसिया
(रचा के नैनों में रसिया)
दुल्हनिया बन के निकली हूँ मिलेंगे आज मन बसिया
(मिलेंगे आज मन बसिया)

सजन के द्वार से प्यासी नजरिया कैसे ले जाऊँ?
कमर लचके मोरी...
(हाय, कमर लचके मोरी भारी गगरिया कैसे ले जाऊँ?)
(उमंगो को सखी पिय की नगरिया कैसे ले जाऊँ?)



Credits
Writer(s): Naushad Ali
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