Ab Yahan Koi Bhi Nahin

अब यहाँ कोई नहीं, अपना-पराया भी नहीं
अब यहाँ कोई नहीं, अपना-पराया भी नहीं
हमने ये सोच के महफ़िल को सजाया भी नहीं
अब यहाँ कोई नहीं

ग़म ने एक भीड़ से भी ढूँढ निकाला हमको
ग़म ने एक भीड़ से भी ढूँढ निकाला हमको

हमने तो अपना पता ख़ुद को बताया भी नहीं
अब यहाँ कोई नहीं

हाल-ए-दिल जान गए कैसे ज़माने वाले?
हाल-ए-दिल जान गए कैसे ज़माने वाले?

तुमने पूछा भी नहीं, हमने सुनाया भी नहीं
अब यहाँ कोई नहीं

हमने पतझड़ को भी समझा है बहारें, लेकिन
हमने पतझड़ को भी समझा है बहारें, लेकिन

तुमको इस दर्द का एहसास दिलाया भी नहीं
अब यहाँ कोई नहीं, अपना-पराया भी नहीं
हमने ये सोच के महफ़िल को सजाया भी नहीं
अब यहाँ कोई नहीं



Credits
Writer(s): Pandit K. Razdan, Jeetu Jeetu, Tapan Tapan
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