Garm Tha Khoon Mera

गर्म था ख़ून मेरा
गर्म था ख़ून मेरा
आज ये ठंडा क्यूँ है?
ये मेरा अंग है पर बोझ सा लगता क्यूँ है?

गर्म था ख़ून मेरा

पूछता हूँ मैं समंदर के किनारे दिल से
पूछता हूँ मैं समंदर के किनारे दिल से
पूछता हूँ मैं समंदर के किनारे दिल से
हर तरफ़ पानी ही पानी है, तो प्यासा क्यूँ है?

गर्म था ख़ून मेरा

सोचते-सोचते हर रात मैं थकता जाऊँ
सोचते-सोचते हर रात मैं थकता जाऊँ
सोचते-सोचते हर रात मैं थकता जाऊँ
आदमी एक भरे घर में अकेला क्यूँ है?

गर्म था ख़ून मेरा

क्यूँ उम्मीदों का दिया जलता है बुझने के लिए?
क्यूँ उम्मीदों का दिया जलता है बुझने के लिए?
क्यूँ उम्मीदों का दिया जलता है बुझने के लिए?
एक दिन बुझना है इसको, तो ये जलता क्यूँ है?

गर्म था ख़ून मेरा
हो, गर्म था ख़ून मेरा
आज ये ठंडा क्यूँ है?
ये मेरा अंग है पर बोज सा लगता क्यूँ है?

गर्म था ख़ून मेरा
गर्म था ख़ून मेरा



Credits
Writer(s): Tapan, Jeetu, Pandit K
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