Kahin Bekhayal Hokar

कहीं बेख़याल होकर यूँ ही छू लिया किसी ने

कहीं बेख़याल होकर यूँ ही छू लिया किसी ने
कई ख़्वाब देख डाले यहाँ मेरी बेख़ुदी ने
कहीं बेख़याल होकर...

मेरे दिल में कौन है तू कि हुआ जहाँ अँधेरा
मेरे दिल में कौन है तू कि हुआ जहाँ अँधेरा

वहीं १०० दीए जलाए तेरे रुख़ की चाँदनी ने
कई ख़्वाब...
कई ख़्वाब देख डाले यहाँ मेरी बेख़ुदी ने
कहीं बेख़याल होकर...

कभी उस परी का कूचा, कभी इस हसीं की महफ़िल
कभी उस परी का कूचा, कभी इस हसीं की महफ़िल

मुझे दर-ब-दर फिराया मेरे दिल की सादगी ने
कई ख़्वाब...
कई ख़्वाब देख डाले यहाँ मेरी बेख़ुदी ने
कहीं बेख़याल होकर...

है भला सा नाम उसका, मैं अभी से क्या बताऊँ?
है भला सा नाम उसका, मैं अभी से क्या बताऊँ?

किया बेक़रार अक्सर मुझे एक आदमी ने
कई ख़्वाब...
कई ख़्वाब देख डाले यहाँ मेरी बेख़ुदी ने
कहीं बेख़याल होकर...

अरे, मुझ पे, नाज़ वालों, ये नियाज़-मंदियाँ क्यूँ?
अरे, मुझ पे, नाज़ वालों, ये नियाज़-मंदियाँ क्यूँ?

है यही करम तुम्हारा तो मुझे ना दोगे जीने
कई ख़्वाब...
कई ख़्वाब देख डाले यहाँ मेरी बेख़ुदी ने
कहीं बेख़याल होकर यूँ ही छू लिया किसी ने
कहीं बेख़याल होकर...



Credits
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, S.d. Burman
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