Are Yaar Meri Tum Bhi Ho Ghazab

अरे यार मेरी तुम भी हो ग़ज़ब, घूँघट तो ज़रा ओढ़ो
अहा मानो कहा अब तुम हो जवां,
मेरी जान लड़कपन छोड़ो
जब मेरी चुनरिया मलमल की,
फिर क्यों न फिरूँ झलकी-झलकी
अरे यार मेरी तुम भी हो ग़ज़ब... घूँघट तो ज़रा ओढ़ो

अहा मानो कहा अब तुम हो जवां,
मेरी जान लड़कपन छोड़ो

कोई जो मुझको हाथ लगाएगा,

हाथ न उसके आऊंगी
मै तेरे मन की लाल परी हूँ रे,
मन में तेरे उड़ जाऊंगी

कोई जो मुझको हाथ लगाएगा,
हाथ न उसके आऊंगी
मै तेरे मन की लाल परी हूँ रे,
मन में तेरे उड़ जाऊंगी
तुम परी तो ज़रूर हो, पर बड़ी मशहूर हो

जब मेरी चुनरिया मलमल की...
फिर क्यों न फिरूँ झलकी-झलकी
अरे यार मेरी तुम भी हो ग़ज़ब, घूँघट तो ज़रा ओढ़ो
अहा मानो कहा अब तुम हो जवां,
मेरी जान लड़कपन छोड़ो

देखके तरसे लाख ये भंवरे, और इन्हें तरसाऊंगी
तेरी गली की एक कली हूँ,
तेरे गले लग जाऊंगी
देखके तरसे लाख ये भंवरे, और इन्हें तरसाऊंगी
तेरी गली की एक कली हूँ,

तेरे गले लग जाऊंगी
तुम कली तो ज़रूर हो, पर बड़ी मशहूर हो
जब मेरी चुनरिया मलमल की...
फिर क्यों न फिरूँ झलकी-झलकी
अरे यार मेरी तुम भी हो ग़ज़ब, घूँघट तो ज़रा ओढ़ो
अहा मानो कहा अब तुम हो जवां,
मेरी जान लड़कपन छोड़ो

डाल के घुंघटा रूप को अपने, और नहीं मैं छुपाऊंगी
सुंदरी बनके तेरी बलमवा,
आज तो मैं लहराऊंगी
डाल के घुंघटा रूप को अपने, और नहीं मैं छुपाऊंगी
सुंदरी बनके तेरी बलमवा,
आज तो मैं लहराऊंगी
सुंदरी तो ज़रूर हो, पर बड़ी मशहूर हो
जब मेरी चुनरिया मलमल की...
फिर क्यों न फिरूँ झलकी-झलकी
अरे यार मेरी तुम भी हो ग़ज़ब, घूँघट तो ज़रा ओढ़ो
अरे मानो कहा अब तुम हो जवां,
मेरी जान लड़कपन छोड़ो
जब मेरी चुनरिया मलमल की...
फिर क्यों न फिरूँ झलकी-झलकी
अरे यार मेरी तुम भी हो ग़ज़ब, घूँघट तो ज़रा ओढ़ो.हम्म हम्म
अरे मानो कहा अब तुम हो जवां,



Credits
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, S.d. Burman
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