Main Sanwali Saloni

मैं साँवली-सलोनी लड़की हूँ, दुनिया मुझ पे मरती है
मैं साँवली-सलोनी लड़की हूँ, दुनिया मुझ पे मरती है
मैं कलियों से कभी खेलूँ तो बहारें झूम जाती हैं
फ़िज़ाओं में कभी गाऊँ तो जाने मुझ से ये हवा क्या कहती है

मैं साँवली-सलोनी लड़की हूँ, दुनिया मुझ पे मरती है
मैं कलियों से कभी खेलूँ तो बहारें झूम जाती हैं
फ़िज़ाओं में कभी गाऊँ तो जाने मुझ से ये हवा क्या कहती है

मैं साँवली-सलोनी लड़की हूँ, दुनिया मुझ पे मरती है
मैं कलियों से कभी खेलूँ तो बहारें झूम जाती हैं

मैं साँवली-सलोनी, मैं साँवली...

झूमे, क्यूँ झूमे साथ मेरे ये जहाँ?
चूमे, क्यूँ चूमे इस ज़मीं को आसमाँ?
ये रुत क्या है दीवानी? क्या जानूँ मैं अनजानी
हो, जाने मुझ से ये हवा क्या कहती है

मैं साँवली-सलोनी लड़की हूँ, दुनिया मुझ पे मरती है
मैं कलियों से कभी खेलूँ तो बहारें झूम जाती हैं
फ़िज़ाओं में कभी गाऊँ तो जाने मुझ से ये हवा क्या कहती है

मैं साँवली-सलोनी लड़की हूँ, दुनिया मुझ पे मरती है
मैं कलियों से कभी खेलूँ तो बहारें झूम जाती हैं

मैं साँवली-सलोनी, मैं साँवली...

महके, क्यूँ महके बदन फूलों सा मेरा?
बहकें, क्यूँ बहकें क़दम? नहीं मुझ को पता
क्या जानूँ मैं पागल सी, दिल में है क्यूँ हलचल सी?
Hey, जाने मुझ से ये हवा क्या कहती है

मैं साँवली-सलोनी लड़की हूँ, दुनिया मुझ पे मरती है
मैं कलियों से कभी खेलूँ तो बहारें झूम जाती हैं
फ़िज़ाओं में कभी गाऊँ तो जाने मुझ से ये हवा क्या कहती है

मैं साँवली लड़की हूँ, दुनिया मुझ पे मरती है
मैं कलियों से कभी खेलूँ तो बहारें झूम जाती हैं
मैं साँवली-सलोनी लड़की हूँ, दुनिया मुझ पे मरती है
मैं कलियों से कभी खेलूँ तो बहारें झूम जाती हैं



Credits
Writer(s): Lalit Sen, Mehboob Alam Kotwal
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