Ek Brahman Nekaha Hai

एक ब्राह्मण ने कहा है कि ये साल अच्छा है

एक ब्राह्मण ने कहा है कि ये साल अच्छा है

ज़ुल्म की रात बहुत जल्द ढलेगी अब तो
आग चूल्हों में हर इक रोज़ जलेगी अब तो

भूख के मारे कोई बच्चा नहीं रोएगा
चैन की नींद हर इक शख़्स यहाँ सोएगा
आँधी नफ़रत की चलेगी ना कहीं अब के बरस
प्यार की फ़स्ल उगाएगी ज़मीं अब के बरस

है यक़ीं अब ना कोई शोर-शराबा होगा
ज़ुल्म होगा ना कहीं ख़ून-ख़राबा होगा
ओस और धूप के सदमे ना सहेगा कोई
अब मेरे देस में बेघर ना रहेगा कोई

नए वादों का जो डाला है वो जाल अच्छा है
रहनुमाओं ने कहा है कि ये साल अच्छा है
दिल के ख़ुश रखने को, ग़ालिब, ये ख़याल अच्छा है
दिल के ख़ुश रखने को, ग़ालिब, ये ख़याल अच्छा है
दिल के ख़ुश रखने को, ग़ालिब, ये ख़याल अच्छा है



Credits
Writer(s): Jagjit Singh, Sabir Dutt
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