Main Bhool Jaoon Silsilay

मैं भूल जाऊँ तुम्हें...
मैं भूल जाऊँ तुम्हें अब यही मुनासिब है
मैं भूल जाऊँ तुम्हें अब यही मुनासिब है
मगर भुलाना भी चाहूँ तो किस तरह भूलूँ
मगर भुलाना भी चाहूँ तो किस तरह भूलूँ
के तुम तो फिर भी हक़ीक़त हो कोई ख़्वाब नहीं

यहाँ तो दिल का ये आलम है, क्या कहूँ?(कम्बख़्त)
भुला सका ना ये वो सिलसिला जो था ही नहीं
भुला सका ना ये वो सिलसिला जो था ही नहीं
वो इक ख़याल जो आवाज़ तक गया ही नहीं

वो एक बात जो मैं कह नहीं सका तुमसे
वो एक रब्त जो हम में कभी रहा ही नहीं
मुझे है याद वो सब जो कभी हुआ ही नहीं

अगर ये हाल है दिल का तो कोई समझाए
अगर ये हाल है दिल का तो कोई समझाए
तुम्हें भुलाना भी चाहूँ तो किस तरह भूलूँ
के तुम तो फिर भी हक़ीक़त हो कोई ख़्वाब नहीं
के तुम तो फिर भी हक़ीक़त हो कोई ख़्वाब नहीं
के तुम तो फिर भी हक़ीक़त हो कोई ख़्वाब नहीं



Credits
Writer(s): Javed Akhtar, Jagjit Singh
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