Ek Saathi Aur Bhi Tha

खामोश है जो ये वो सदा है
वो जो नहीं है, वो कह रहा है
साथियों, तुमको मिले जीत ही जीत सदा
बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था

जाओ जो लौट के तुम, घर हो खुशी से भरा
जाओ जो लौट के तुम, घर हो खुशी से भरा
बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था
बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था

कल पर्बतों पे कहीं बरसी थी जब गोलियाँ
हम लोग थे साथ में और हौसले थे जवाँ
अब तक चट्टानों पे हैं अपने लहू के निशाँ
साथी मुबारक तुम्हें ये जश्न हो जीत का
बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था

कल तुमसे बिछड़ी हुई ममता जो फिर से मिले
कल फूल चेहरा कोई जब तुमसे मिल के खिले
कल तुमसे बिछड़ी हुई ममता जो फिर से मिले
कल फूल चेहरा कोई जब तुमसे मिल के खिले

पाओ तुम इतनी खुशी, मिट जाएँ सारे गिले
है प्यार जिनसे तुम्हें साथ रहे वो सदा
बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था

जब अमन की बाँसुरी गूँजे गगन के तले
जब दोस्ती का दीया इन सरहदों पे जले
जब भूल के दुश्मनी लग जाए कोई गले
जब सारे इंसानों का हो एक ही काफ़िला
बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था

जाओ जो लौट के तुम, घर हो खुशी से भरा
बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था
बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था



Credits
Writer(s): Javed Akhtar, Anu Malik
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