Paigam de Rahi Hai Yeh Shaam Dhalte (From "Anmol")

पैग़ाम दे रही है ये शाम ढलते-ढलते
बनती है ज़िंदगी में हर बात बनते-बनते
पैग़ाम दे रही है ये शाम ढलते-ढलते
बनती है ज़िंदगी में हर बात बनते-बनते

हमसफ़र के बिना तो मज़ा आए ना
हमसफ़र के बिना तो मज़ा आए ना
ज़िंदगी में अकेला रहा जाए ना

कोई हमें मिलेगा ऐसे ही चलते-चलते
बनती है ज़िंदगी में हर बात बनते-बनते
पैग़ाम दे रही है ये शाम ढलते-ढलते
बनती है ज़िंदगी में हर बात बनते-बनते

साज़-ए-दिल छेड़ दे मुस्कुरा कर कोई
साज़-ए-दिल छेड़ दे मुस्कुरा कर कोई
देख ले हम को नज़रें उठा कर कोई

हम ख़ाक हो ना जाएँ यूँ आह भरते-भरते
बनती है ज़िंदगी में हर बात बनते-बनते
पैग़ाम दे रही है ये शाम ढलते-ढलते
बनती है ज़िंदगी में हर बात बनते-बनते



Credits
Writer(s): Raam Laxman, Ravindra Rawal
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link