Na Satrah Se Upar Na Solah Se Kam - From "Dharma"

सदा इतनी उमर तेरी रहे, ओ, सनम, हाँ

ना १७ से ऊपर, ना १६ से कम
ना १७ से ऊपर, ना १६ से कम
इसी उम्र में ढाते जाओ सितम, ओ

ना १७ से...
ना १७ से ऊपर, ना १६ से कम
ना १७ से ऊपर, ना १६ से कम

सर्ख़ होंठों पे तिल से सुहाना है
जैसे कलियों पे शबनम का दाना है
हाए, सर्ख़ होंठों पे तिल से सुहाना है
जैसे कलियों पे शबनम का दाना है
ये शबाब है, हाए, या जुलाब है
हिसाब कोई नहीं, ये तो बे-हिसाब है

हमेशा रहो तुम ख़ुदा की क़सम
हाए, हाए, हाए, हाए

ना १७ से...
ना १७ से ऊपर, ना १६ से कम
ना १७ से ऊपर, ना १६ से कम

तुम यूँ ही अपने जलवे लुटाते रहो
और कलेजे पे छुरियाँ चलाते रहो
हाए, तुम यूँ ही अपने जलवे लुटाते रहो
और कलेजे पे छुरियाँ चलाते रहो
ओ, लाजवाब हो, या कोई ख़ाब हो
निगाह टिक ना सके जिसपे, तुम वो शबाब हो

मुबारक जवानी का पहला क़दम
ओए, होए, होए, होए

ना १७ से ऊपर, ना १६ से कम
ना १७ से ऊपर, ना १६ से कम
इसी उम्र में ढाते जाओ सितम, ओ

ना १७ से...
ना १७ से ऊपर, ना १६ से कम
ना १७ से ऊपर, ना १६ से कम



Credits
Writer(s): Sonik Omi, Varma Malik
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