Salam Hai Salam Hai

एक दिन बहार ने फूलों से ये कहा
काँटों की नोक पर खिलते हो तुम मगर
हँसते हो झूम कर, ज़ख़्मों को चूम कर

इंसानों के लिए, दीवानों के लिए
मुश्किल ये आम है, तुमको सलाम है

तुमको सलाम है, तुमको सलाम है
तुमको सलाम है, तुमको सलाम है
हो, तुमको सलाम है
हो, तुमको सलाम है

कहिए, साहिबान, ये दास्ताँ कैसी लगी?
ये दास्ताँ नहीं, हाँ-हाँ, जी हाँ, नहीं

कोई पयाम है, तुमको सलाम है
कोई पयाम है, तुमको सलाम है
हो, तुमको सलाम है, तुमको सलाम है
तुमको सलाम है, तुमको सलाम है

अफ़सोस क्या...
अफ़सोस क्या कि दिल ख़ुशियों से था भरा
थोड़ा से ये अगर छलका तो क्या हुआ?
थोड़ा से ये अगर छलका तो क्या हुआ?

आधा छलक गया, ख़ाली नहीं हुआ
आधा भरा हुआ अब भी ये जाम है

तुमको सलाम है, तुमको सलाम है
तुमको सलाम है, कोई पयाम है
तुमको सलाम है, तुमको सलाम है
तुमको सलाम है, तुमको सलाम है

तुमने तो बस मुझे...
तुमने तो बस मुझे जीना सिखा दिया
जल्वा दिखा दिया, पर्दा उठा दिया
जल्वा दिखा दिया, पर्दा उठा दिया

हर ज़ख़्म दाग़ है, हर गुल चिराग़ है
मालिक दिमाग़ है, दिल तो ग़ुलाम है

तुमको सलाम है, तुमको सलाम है
तुमको सलाम है, तुमको सलाम है
तुमको सलाम है, तुमको सलाम है
तुमको सलाम है, तुमको सलाम है

इस ज़िंदगी को तुम...
इस ज़िंदगी को तुम थोड़ा सा प्यार दो
ग़म के भी रात-दिन हँस कर गुज़ार दो
ग़म के भी रात-दिन हँस कर गुज़ार दो

क्यूँकि ये ज़िंदगी, ऐ, मेरे हमनशीं
कोई सज़ा नहीं, ये एक इनाम है

तुमको सलाम है, कोई पयाम है
तुमको सलाम है, कोई पयाम है
तुमको सलाम है, तुमको सलाम है
तुमको सलाम है, सबको सलाम है



Credits
Writer(s): Anand Bakshi, Kudalkar Laxmikant, Pyarelal Ramprasad Sharma
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