Bagh Mein Kali Khili

बाग़ में कली खिली, बग़िया महकी
पर हाय रे, अभी इधर भँवरा नहीं आया
राह में नज़र बिछी बहकी-बहकी
और बेवजह घड़ी-घड़ी ये दिल घबराया

हाय रे, क्यूँ ना आया?
क्यूँ ना आया? क्यूँ ना आया?

बैठे हैं हम तो अरमाँ जगाए
सीने में लाखों तूफ़ाँ छुपाए
मत पूछो मन को कैसे मनाया

बाग़ में कली खिली, बग़िया महकी
पर हाय रे, अभी इधर भँवरा नहीं आया
राह में नज़र बिछी बहकी-बहकी
और बेवजह घड़ी-घड़ी ये दिल घबराया

हाय रे, क्यूँ ना आया?
क्यूँ ना आया? क्यूँ ना आया?

सपने जो आए, तड़पा के जाएँ
दिल की लगी को लहका के जाएँ
मुश्किल से हमने हर दिन बिताया

बाग़ में कली खिली, बग़िया महकी
पर हाय रे, अभी इधर भँवरा नहीं आया
राह में नज़र बिछी बहकी-बहकी
और बेवजह घड़ी-घड़ी ये दिल घबराया

हाय रे, क्यूँ ना आया?
क्यूँ ना आया? क्यूँ ना आया?

इक मीठी अग्नी में जलता है तन-मन
बात और बिगड़ी बरसा जो सावन
बचपन गँवा के मैंने सब कुछ गँवाया

बाग़ में कली खिली, बग़िया महकी
पर हाय रे, अभी इधर भँवरा नहीं आया
राह में नज़र बिछी बहकी-बहकी
और बेवजह...



Credits
Writer(s): Shailendra, Salil Chowdhari
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