Kahan Hai Kahan Hai Kanhaiya

कहाँ है, कहाँ है कन्हैया
समझे ना प्यार मेरा
समझे ना प्यार मेरा

मीठी-मीठी बाँसुरी से छीन ले क़रार मेरा
छीन ले क़रार मेरा
कहाँ है, कहाँ है कन्हैया

वो मोहे रतियाँ जगाए, वो मेरी नींदियाँ चुराए
वो मोहे रतियाँ जगाए, वो मेरी नींदियाँ चुराए
ढूँढूँ मैं साँझ-सँवेरे, वो मोहे मिलने ना पाए

कहाँ है, कहाँ है कन्हैया
समझे ना प्यार मेरा
समझे ना प्यार मेरा

मीठी-मीठी बाँसुरी से छीन ले क़रार मेरा
छीन ले क़रार मेरा
कहाँ है, कहाँ है कन्हैया

मैं उनकी भोली पुजारन
हूँ पागल उन के कारण
मैं उनकी भोली पुजारन
हूँ पागल उन के कारण

दो नैना लागे पीहू से
बनी मैं प्यार की जोगन

कहाँ है, कहाँ है कन्हैया
समझे ना प्यार मेरा
समझे ना प्यार मेरा

मीठी-मीठी बाँसुरी से छीन ले क़रार मेरा
छीन ले क़रार मेरा
कहाँ है, कहाँ है कन्हैया...

ये जीवन ऐसे गुज़ारूँ
कि बैठे पंथ निहारूँ
ये जीवन ऐसे गुज़ारूँ
कि बैठे पंथ निहारूँ

मैं भर कर साँस के सरगम
तेरा ही नाम पुकारूँ

कहाँ है, कहाँ है कन्हैया
समझे ना प्यार मेरा
समझे ना प्यार मेरा

मीठी-मीठी बाँसुरी से छीन ले क़रार मेरा
छीन ले क़रार मेरा
कहाँ है, कहाँ है कन्हैया



Credits
Writer(s): Jaikshan Shankar, Jaipuri Hasrat
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