Aapke Anurodh Pe

आपके अनुरोध पे मैं ये गीत सुनाता हूँ
मैं ये गीत सुनाता हूँ

आपके अनुरोध पे मैं ये गीत सुनाता हूँ
मैं ये गीत सुनाता हूँ
अपने दिल की बातों से आपका दिल बहलाता हूँ
आप के अनुरोध पे...

मत पूछो, औरों के दुख में ये प्रेम कवि क्यूँ रोता है
मत पूछो, औरों के दुख में ये प्रेम कवि क्यूँ रोता है
बस चोट किसी को लगती है और दर्द किसी को होता है

दूर कहीं कोई दर्पण टूटे, तड़प के मैं रह जाता हूँ
आपके अनुरोध पे मैं ये गीत सुनाता हूँ
मैं ये गीत सुनाता हूँ

तारीफ़ मैं जिसकी करता हूँ
तारीफ़ मैं जिसकी करता हूँ, क्या रूप है वो, क्या ख़ुशबू है
कुछ बात नहीं ऐसी कोई ये एक सुरों का जादू है

कोयल की एक कूक से सबके मन में हूक उठाता हूँ
आपके अनुरोध पे मैं ये गीत सुनाता हूँ
मैं ये गीत सुनाता हूँ

मैं पहने फिरता हूँ जो वो ज़ंजीरें कैसे बनती हैं?
मैं पहने फिरता हूँ जो वो ज़ंजीरें कैसे बनती हैं?
ये भेद बता दूँ गीतों में तस्वीरें कैसे बनती हैं
सुंदर होंठों की लाली से मैं रंग-रूप चुराता हूँ

आपके अनुरोध पे मैं ये गीत सुनाता हूँ
मैं ये गीत सुनाता हूँ
अपने दिल की बातों से आपका दिल बहलाता हूँ
आप के अनुरोध पे...



Credits
Writer(s): Anand Bakshi, Kudalkar Laxmikant, Pyarelal Ramprasad Sharma
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