Jab Dard Nahin Tha

ना हँसना मेरे ग़म पे, इंसाफ़ करना
जो मैं रो पड़ूँ तो मुझे माफ़ करना

जब दर्द नहीं था सीने में
तब ख़ाक मज़ा था जीने में
जब दर्द नहीं था सीने में
तब ख़ाक मज़ा था जीने में

अब के शायद हम भी रोएँ
सावन के महीने में
जब दर्द नहीं था सीने में
तब ख़ाक मज़ा था जीने में

अब के शायद हम भी रोएँ
सावन के महीने में
जब दर्द नहीं था सीने में
तब ख़ाक मज़ा था जीने में

यारों का ग़म क्या होता है?
यारों का ग़म क्या होता है?
यारों का ग़म क्या होता है?

मालूम ना था अनजानों को
साहिल पे खड़े हो कर हमने
देखा अक्सर तूफ़ानों को

अब के शायद हम भी डूबे
मौजों के सफ़ीने में
जब दर्द नहीं था सीने में
तब ख़ाक मज़ा था जीने में

ऐसे तो ठेस ना लगती थी
जब अपने रूठा करते थे
इतना तो दर्द ना होता था
जब सपने टूटे करते थे

अब के शायद दिल भी टूटे
अब के शायद हम भी रोएँ
सावन के महीने में
जब दर्द नहीं था सीने में
तब ख़ाक मज़ा था जीने में

इस क़दर प्यार तो कोई करता नहीं
मरने वालों के साथ कोई मरता नहीं
आप के सामने मैं ना फिर आऊँगा
गीत ही जब ना होंगे तो क्या गाऊँगा

मेरी आवाज़ प्यारी है तो दोस्तों
यार बच जाए मेरा
दुआ सब करो
दुआ सब करो



Credits
Writer(s): Anand Bakshi, Kudalkar Laxmikant, Pyarelal Ramprasad Sharma
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